Pahli mulakat
  मुझे आज भी याद है    वो पहली मुलाक़ात   आँखों ही आँखों में वो प्यारी सी बात   वो तेरा मुझे देख कर बिना बात के मुस्कराना ।   वो मेरी बाइक की आवाज़ से खिड़की पे आना    नज़रें मिला के फिर भाग जाना   सहेलियों के साथ बार बार मेरे नज़दीक आना      हाँ वो पहला झगड़ा भी याद है   जब जी भर के रोए थे हम ओर क़समें खायी थी की अब नी लड़ेंगे   क्या तुम्हें याद हैं तेरे आते ही मेरे चेहरे का खिल जाना      मुझे आज भी याद है   घर जाते वक़्त तेरा जान बूझ के बस छूट जाना    फिर मेरे साथ मेरी साइकल पे स्कूल जाना      मुझे आज भी याद है   वो बारिश जहाँ हम भीगे थे   वो गीली सी लकड़ियाँ जो हमने कड़कती ठंड में सुलगायी थी    वो आग जो दो मनो में लगी थी      मुझे आज भी याद है    एक बार फिर तु मिलने आयी थी    तुझे देख के सकूंन छाया था मेरे दिल्ल में    एक अलग सी खमोशी थी तेरे चेहरे पे     सोचा था शायद कुछ अलग बात होगी      मुझे आज भी याद है   तेरे हाथ का कार्ड ओर मिठाई का डिब्बा    उस दिन भी अकेले ही मिलने आयी थी हमेशा की तरह    तेरी खमोशी काट...